हां कुछ
बातें होती है
कुछ हसती है कुछ हसाती है
कुछ गमों के
सायों को
लेकर बस युहीं दिल को रुलाती है...
न जाने ये बातें क्यों ऐसी होती है...
पर क्या करें बातें तो बस बातें होती है....
बातों की न कभी शुरुआत होती है
और ना-ही बातों का कभी अंत,
बस कभी-कभी खामोशी होती है,
तो कभी रूसवाई होती है,
कभी शीतल शांती, तो कभी गहरी खाई है
सुनाई दे तो भंवर है,
और न सुनाई दे तो अपने ही दिल का सुकून
है...
बातें तो
होती ऐसे ही है
हम करे तो गपशप होती है
लोग कहे तो ताना होता है
सामने से बोले तारीफ
पीठ पीछे आग की चिंगारी होती है....
और कोई उंचा बोले तो तहजीब होती है...
बातें तो बातें होती है...
बातों को मेरे तुम भी कभी दिल पे मत लेना
क्योकिं कहने
वाली हर बात शायद मैं कभी कह भी न सकूँ
और कहीं हुई हर बात शायद मैं कभी कहना भी न चाहुँ
पर बातें तो बातें ही होती हैं....
तभी तो कई बार बिना लब्जो की,
खामोशी से ही सब कुछ बयाँ कर जाती है...
तभी तो कई बार बिना लब्जो की,
खामोशी से ही सब कुछ बयाँ कर जाती है...
-
कृष्णा
खैरे
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